हकलाना क्या है
हकलाना एक बीमारी नहीं है यह एक गलत आदत है जिसे जिसे ठीक किया जा सकता है यह जल्दी बोलने की और गलत तरीके से बोलने की आदत का परिणाम है यह जन्म से नहीं होती है
यह बीमारी किसी दवाई से या जादू ,टोटका ,तंत्र मंत्र से सही नहीं की जा सकती
यह आदत बच्चों को तीन या चार साल से लग जाती है या कई बार देखा गया है की 8-9 साल तक की उम्र के बच्चों को भी हकलाने की आदत लग जाती है इसका मुख्य कारण होता है आपके श्वास का छोटा होना और उसे छोटे श्वास में आप ज्यादा बोलने की कोशिश करते हैं और जल्दी बोलने की कोशिश करते हैं जिसकी वजह से आप हकलाने लग जाते हैं
इस छोटे श्वास में आप जल्दी-जल्दी और रुक-रुक कर बोलने लग जाते हो आप ज्यादा बोलने की कोशिश करते हो जिसके कारण आपकी स्पीड तेज हो जाती है और आप अटकने लग जाते हो
शहरों में और ग्रामीण भारत में कुछ लोग इसको देवी देवताओं से या जादू टोने से ठीक करने की कोशिश करते हैं क्योंकि वे डॉक्टर के पास जा चुके होते हैं लेकिन उन्हें कोई फायदा नहीं होता है
आपका हकलाना कब शुरू हुआ इसको आप गौर से देखोगे तो आपको पता चलेगा की या तो आपको किसी कारण से बीमारी में शारीरिक कमजोरी या किसी दूसरे की नकल करना, स्कूल में या घर मेंभय का वातावरण हो, कोई हादसा होना हो सकता है इन सब से आपका श्वास छोटा हो गया और आप छोटे-छोटे श्वास लेने लग जाते हो
इलाज क्या है
हकलाना कोई बीमारी नहीं है यह एक आदत है जो आपको लग गई है कई कारणों से और इसका इलाज पूरी तरह संभव है इसका इलाज किसी दवाई या पाउडर या किसी अन्य तरीके से नहीं किया जा सकता
इसका इलाज सिर्फ आपको धीरे बोलने का अभ्यास करके किया जा सकता है जिसमें आपको बताया जाएगा की कैसे आपको अपने श्वास को लंबा करना है और धीरे-धीरे बोलना है
आपको अपने दिमाग में कोई भी अक्षर चुन के नहीं रखना है कि आप इस अक्षर पर अटकते हैं
यदि आपके पास समय का अभाव है तो आप हमारे सेंटर पर दो दिन का कोर्स भी ले सकते हो जिससे आपको पूरी तरह से बता दिया जाएगा कि आप किस तरह से अभ्यास करके ठीक हो सकते हो और आपको दो दिन में इतना आत्मविश्वास हो जाएगा कि आप जिंदगी में इस मानसिक बीमारी से निकल जाओगे
हमारा कंपलीट कोर्स 15 से 30 दिन का होता है यह आप पर निर्भर करता है कि आप कितना जल्दी समझते हो और कितनी ईमानदारी से मेहनत करते हो
इस इलाज में एक बार आप इसकी ट्रिक जान लोगे तो अपने घर पर भी अभ्यास कर पाओगे इसमें कोई बहुत बड़ी विज्ञान नहीं है
क्या मैं ठीक हो जाऊँगा
आप यदि इसी कारण से स्पीच एंड स्टैमरिंग थेरेपी सेंटर पर नहीं आ पा रहे हैं तब भी आप अपने आप को आत्मविश्वास से भरे रखें और धीरे-धीरे बोलने की कोशिश करें ,जल्दी बाजी में बोलने की कोशिश ना करें
किसी जादू टोने या देवी देवताओं के चक्कर ना काटे
मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि यह कोई बीमारी नहीं है यह आपको गलत बोलने की आदत लग गई है जिसको कुछ दिन के अभ्यास के द्वारा ही ठीक किया जा सकता है अर्थात इसका कोई मेडिकल इलाज नहीं है आपको कोई दवाई लेने की जरूरत नहीं है आपके शरीर में कोई अन्य तरह की बीमारी या कमजोरी है उसके लिए आप अपना मेडिकल इलाज ले सकते हैं लेकिन सिर्फ हकलाने के लिए आपका कोई मेडिकल इलाज नहीं लेना है
बोलते समय जिन अक्षरों पर आप ज्यादा अटकते हैं उनको अलग से छांटे नहीं, बोलते समय आप किसी शब्द का सब्सीट्यूट ना ढूंढे जैसे आपका पानी बोलने में दिक्कत महसूस कर रहे हो तो आप उसकी जगह जल बोल देते हो ,इससे आपकी बीमारी/आदत खत्म नहीं होगीऔर आपके मन में एक साइकोलॉजी बनी रहेगी ,एक डर बना रहेगा कि मैं हकलाता हु ,इसलिए मेरी आपसे सलाह है की आप किसी भी परिस्थिति में समय निकालकर केंद्र पर जरूर आए
तुतलाना क्या है
बचपन में प्रत्येक बच्चा अपने बोलने की शुरुआत तुतलाने से ही करता है
तुतलाना बीमारी नहीं एक गलत आदत है जो की बचपन से ही होती है सभी बच्चे बचपन में अपने आसपास के माहौल को देखकर ही बोलना सीखते हैं
हिंदी भाषी हिंदी बोलना सीखना है, अंग्रेजी भाषी अंग्रेजी बोलना सीखते है ,बच्चा हमेशा नकल करके बोलना सीखना है
शुरुआत में जब बच्चा तोतला कर बोलता है तब हमें चाहिए कि उसे सही बोलना बताएं, बच्चा जब तुतलाते बोलता है तो हमें अच्छा लगता है और हम भी उसे उसी रूप में स्वीकार कर लेते हैं बच्चा जब रोटी को लोटी बोलता है तो हमें अच्छा लगता है और हम भी उसे रोटी को लोटी ही बोलकर बात करते हैं,
हम बोलते हैं बेटा लोती खाएगा तो उसे ऐसा लगता है कि इसका सही नाम लोटी ही है इस तरह से वह र को सही समय पर बोलने से चूक जाता है
ऐसे बच्चों को भी एक लंबे अभ्यास के बाद बिल्कुल ठीक किया जा सकता है हमारे सेंटर पर बच्चों के साथ पेरेंट्स का आना जरूरी है यहां पर बच्चों के साथ पेरेंट्स को भी सिखाया जाता है कि घर पर कैसे अपने बच्चों को प्रैक्टिस करवाए
अपनी कहानी
स्पीच और स्टैमरिंग थेरेपी सेंटर को सफल बनाने में मेनका मीणा, विजय कुमार और हेमराज मीणा का समग्र योगदान है ,विजय कुमार स्वयं इस हकलाने वाली समस्या से ग्रसित थे उन्हें यह बीमारी 4 साल की उम्र में एक लंबी बीमारी के बाद में हुई, 4 साल की उम्र से लेकर 20 साल की उम्र तक उसने हताशा और निराशा में अपना जीवन व्यतीत किया,
विजय कुमार और हेमराज मीणा जो कि अभी दिल्ली पॉलिटेक्निक कॉलेज में प्रोफेसर है ने इस गलत बोलने की आदत पर रिसर्च किया और जाना कि यह समस्या क्यों होती है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है उन्होंने उन्होंने सही बोलने की तकनीक विकसित की,उसी तकनीक ,अभ्यास के द्वारा अपने आप को ठीक किया और आज अपने जैसे कई लोगों को ठीक करके एक समाज सेवा का काम कर रहे हैं
मेनका मीणा स्पीच थैरेपिस्ट है, बच्चों के साथ मिलकर खेल-खेल में किस तरह से अभ्यास कराया जाता है इसमें महारत हासिल है ,बच्चा क्यों गलती करता है, गुस्से में और जल्दी में क्यों बोलना चाहता है उसे कैसे शांत किया जाए और किस तकनीक के द्वारा उसे ठीक किया जा सकता है ,यह काम मेनका मीना करती है
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